एक फिल्म से कैसे वेब सीरीज बनी ‘फर्जी’? 140 दिन हुआ शूट, शाहिद कपूर ने शेयर किया अनुभव – shahid kapoor on his debut in web series farzi and shares his experience ntmov


पिछले कुछ समय में कई बॉलीवुड स्टार्स ने ओटीटी पर अपना डेब्यू किया है. खासकर कोरोना के वक्त जब थिएटर्स बंद पड़े थे, तो उस वक्त एक्टर्स के पास डिजिटल प्लैटफॉर्म के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं था. खैर शाहिद कपूर ने भी वेब सीरीज फर्जी के साथ अपना डिजिटल डेब्यू कर लिया है. शाहिद हमसे शो से जुड़ी कई दिलचस्प बातें शेयर करते हैं. 

अपने डिजिटल डेब्यू पर शाहिद कहते हैं, लोगों को लगता होगा कि कोविड के बाद एक्टर्स ओटीटी पर आना चाहते हैं या ओटीटी पर काम कर रहे हैं. लेकिन राज और डीके ( डायरेक्टर) से मेरी बात कोविड के लहर से पहले ही हो गई थी. उस वक्त ये दोनों मेरे पास एक फिल्म लेकर आए थे, तो मैंने कहा था कि आपके पास कोई शो है क्या, उन्हें बहुत हैरानी भी हुई थी. क्योंकि ये कबीर सिंह की रिलीज के तुरंत बाद हुआ था, तो उन्हें लगा कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं. अमूमन वेब शो का नाम सुनकर एक्टर हिचकते हैं. मैंने राज और डीके की फैमिली मैन को दो दिन में देखकर कंपलीट किया था. मुझे उनका काम बहुत पसंद भी आया था. मैं इंटरनैशनली भी काफी शोज फॉलो करता आया हूं.  मैं मानता हूं अगर आप ओटीटी पर जाएंगे, तो ऑडियंस के साथ आपका एक अलग तरह का रिलेशनशिप बनता है. आप अलग तरह से कनेक्ट करते हैं. पांच-छ घंटे का कॉन्टेंट होता है, कैरेक्टर के ग्राफ को अलग तरीके से परिभाषित किया जाता है. मैं यही सोचने लगा कि मैं वेब शोज देख तो रहा हूं लेकिन कर क्यों नहीं रहा.

फिल्म के बजाए सीरीज का रूप दिया जाए 

शाहिद आगे कहते हैं, हालांकि पिछले दो ढाई साल में ओटीटी ने अपनी अलग जगह बना ली है. मेरे लिए भी यह नया है. मुझे पांच साल पहले राज और डीके ने फर्जी की कहानी सुनाई थी. उन्हें फैमिली मैन बनाने के दौरान इस कहानी के लिए यह भी महसूस हुआ कि इसे फिल्म के बजाए सीरीज का फॉर्म दिया जा सकता है.

 

 

मेरे पास डेट्स की कमी नहीं होती 

एक ए लिस्टर एक्टर के पास डेट्स को लेकर हमेशा दिक्कतें आती हैं. इस सीरीज के लिए कैसे वक्त निकाल पाए. इसके जवाब में शाहिद कहते हैं, मेरे पास कभी डेट्स के इश्यू नहीं होते हैं. हां इस बात से इंकार नहीं है कि शो में फिल्मों की तुलना थोड़ा ज्यादा वक्त लगता है. हालांकि मैंने सब तरह की फिल्में की हैं, जैसे हैदर जो थी, वो पचास दिन में बनी थी, वहीं पदमावत को बनने में 250 दिन लग गए थे. जब वी मेट को पूरा करने में 70 दिन लगे थे. हर सब्जेक्ट की अपनी एक जरूरत होती है. मैं उस तरीकेकार से पूरी तरह वाकिफ हूं. मेरे पास डेट्स की कमी कभी नहीं होती है. मुझसे जब भी कोई पूछता है कि तुम और क्या कर रहे हो, तो मैं ज्यादा प्रॉजेक्ट्स के नाम नहीं ले पाता हूं. देखो, बॉलीवुड के साथ पिछले दो साल में जो हुआ. इतनी सारी चीजें पाइपलाइन में प्लान की हुई थी. वक्त बदल गया लेकिन वो अब आ रही हैं. इसलिए शायद लोग उसे इतना ज्यादा पसंद नहीं कर पा रहे हैं. मैं मानता हूं कि इस मामले में खुद को थोड़ा ओपन रखना जरूरी है. कुछ नया.. कुछ एक्साइटिंग..होना चाहिए. एक फिल्म बनने में साल-सवा साल लग जाता है. और आप पांच फिल्मों का कमिट कर देते हैं, तो फंस जाते हो. मैं तो आराम-आराम से काम करने पर यकीन करता हूं. इस सीरीज को बनने में 140 दिन लगे और मैंने लगभग 70 दिन काम किया.

विजय सेतुपति संग स्क्रीन शेयर करना कैसा रहा? 

फिल्म में शाहिद विजय सेतुपति संग स्क्रीन शेयर करते नजर आ रहे हैं. संग काम करने के एक्सपीरियंस पर शाहिद कहते हैं, विजय सेतुपती संग बहुत ज्यादा ट्रैक नहीं है. बहुत कम वक्त के लिए स्क्रीनस्पेस शेयर किया है. मैंने विजय सर के काम को अब्जर्व किया है, वो भी अलग-अलग तरह के किरदारों को तवज्जों देते हैं. मैं भी कुछ ऐसा ही हूं. इसलिए उनसे बहुत कनेक्ट महसूस करता हूं. वो बहुत स्पॉनटेनियस हैं और चाहूंगा कि उनके साथ और भी काम करने का मौका मिले. 

शाहिद जर्सी, कबीर सिंह जैसी साउथ फिल्मों की रीमेक में नजर आए हैं. ऐसे में साउथ की फिल्मों में काम करने को लेकर कितने ओपन हैं. इसके जवाब में शाहिद कहते हैं,मैं और विजय सर यही डिसकस भी कर रहे थे कि नॉर्थ इंडियन ऑडियंस ने साउथ के एक्टर्स को बहुत प्यार से एक्सेप्ट कर लिया है. वैसा ही प्यार हम नॉर्थ इंडियन एक्टर्स के लिए वहां देखना चाहते हैं. तभी तो यह क्रॉस कल्चर सही मायने में साबित होगा. फिलहाल मुझे किसी साउथ इंडियन डायरेक्टर या प्रॉड्यूसर से कोई ऑफर नहीं मिला है. इस साल मेरी तीन हिंदी फिल्में रिलीज को तैयार हैं. 

 

 





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