चीतों को लेकर ग्वालियर पहुंचा सी-17 ग्लोबमास्टर विमान, कूनो तक हेलीकॉप्टर से जाएंगे – C 17 Globemaster aircraft reached Gwalior airport with twelve cheetahs LCLG


दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को भारत लाया जा चुका है. एयरफोर्स के विशेष विमान सी-17 ग्लोबमास्टर से इन चीतों को ग्वालियर एयरपोर्ट लाया गया है. अब यहां से सभी चीतों को MI 17 हेलीकॉप्टर से श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क भेजा जाएगा और लाए जा रहे सभी चीतों को फिलहाल क्वारंटीन बाड़े में रखा जाएगा.

एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव इन चीतों को बाड़े में रिलीज करेंगे. वहीं, वेटनरी डॉक्टर और चीता एक्सपर्ट डॉक्टर लारेल विशेष विमान में चीतों के साथ आई हैं.

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चीतों के लिए बनाए गए हैं 10 क्वारंटीन बाड़े

गौरतलब है कि चीतों का दूसरा जत्था ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचा है. इसके बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग 165 किमी दूर श्योपुर जिले के केएनपी (Kuno National Park) पहुंचाया जाएगा. फिर क्वारंटीन बाड़ों में रखा जाएगा.

कूनो नेशनल पार्क के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 क्वारंटीन बाड़े बनाए गए हैं. हमने तैयारियां पूरी कर ली हैं. अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत 1 महीने तक इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटाइन में रहना होगा. भारत और दक्षिण अफ्रीका में हुए MoU के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका से हर साल 10 से 12 चीते अगले 10 सालों तक देश में लाए जाएंगे ताकि इनकी पर्याप्त संख्या यहां रह सके.

नामीबिया से लाए गए थे 8 चीते

बता दें कि, इससे पहले बीते साल नामीबिया से 8 चीते कूनो नेशनल पार्क में लाए गए थे. इसमें तीन नर और पांच मादा थे. सभी चीतों को चरणबद्ध तरीके से छोटे बाड़े से बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है, जहां सभी चीते खुद से शिकार कर रहे हैं. विदेश से लाए गए इन 8 चीतों में से नर चीते और जुड़वां भाई एल्टन-फ्रेडी की तस्वीर बीते दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी. दोनों एक ही कंपार्टमेंट में रहते हैं. नामीबिया से आने के बाद सबसे पहले इन्हीं दो भाइयों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया था. इसके बाद से दोनों अपने बाड़े में मस्त हैं.

यह सार्वजनिक भलाई का प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट से जुड़े दक्षिण अफ्रीका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा था कि यह सार्वजनिक भलाई का प्रोजेक्ट है. दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग में जैव विविधता और संरक्षण उप महानिदेशक फ्लोरा ने कहा था कि खुशी की बात है कि भारत चीतों की संख्या बढ़ाना चाहता है.

चीतों के लिए जगह

कूनो नेशनल पार्क का बफर जोन 1235 वर्ग किलोमीटर है. पार्क के बीच में कूनो नदी बहती है. कम ढाल वाली पहाड़ियां हैं. दक्षिण-पूर्वी इलाके में पन्ना टाइगर रिजर्व और शिवपुरी के जंगल हैं. इस इलाके के पास ही चंबल नदी बहती है. यानी चीतों के पास कुल मिलाकर 6800 वर्ग किलोमीटर का इलाका रहेगा.

चीतों के लिहाज से तापमान सही और पर्याप्त भोजन

कूनो नेशनल पार्क का अधिकतम औसत तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस रहता है. सबसे कम तापमान 6 से 7 डिग्री सेल्सियस रहता है. इलाके में सालभर में 760 मिलिमीटर बारिश होती है जो चीतों के लिए ठीक है. कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए भोजन के लिए बहुत कुछ है. जैसे- चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे कई जीव हैं.

 



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