मैरिना ओस्यिानिकोवा. रूस के सरकारी न्यूज चैनल की पत्रकार थीं. फिलहाल फ्रांस की राजधानी पेरिस में हैं. यूक्रेन के साथ जंग के फैसले का विरोध करने के कारण मैरिना को अपना ही देश छोड़ना पड़ा था.
दरअसल, पिछले साल 24 फरवरी को जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘सैन्य अभियान’ बताकर यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था, तब मैरिना ने उनके इस फैसले का खुलकर विरोध किया था. मैरिना ने लाइव शो के बीच एक पोस्टर दिखाते हुए यूक्रेन पर रूस के हमले का विरोध किया था इस दौरान उन्होंने हाथ में जो पोस्टर पकड़ा था, उसमें लिखा था कि युद्ध बंद करो. प्रोपेगेंडा पर विश्वास मत करो. आपसे यहां झूठ बोला जा रहा है.
वह बताती हैं कि उनके लिए उस समय चुप रहना असंभव था. वह चाहती थीं कि दुनिया यह जाने कि रूस में ऐसे कई लोग हैं, जो इस हमले के विरोध में खड़े हैं.
यह घटना पिछले साल मार्च महीने की है. मैरिना के इस कदम ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. हालात ऐसे बन गए कि उन्हें देश छोड़कर फ्रांस जाना पड़ा. इस दुर्दांत घटना को याद करते हुए मैरिना ने बीते हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मैं अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक रूस छोड़ना नहीं चाहती थी. रूस अभी भी मेरा देश है, फिर बेशक वहां युद्ध अपराधी सत्तासीन हो. मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. या तो मुझे जेल होती या फिर मुझे देश निकाला दे दिया जाता.
44 साल की मैरिना पर प्रोटेस्ट कानूनों को नजरअंदाज करने की वजह से जुर्माना लगाया गया था, जिसके बाद उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा.
द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इन सबके बावजूद मैरिना को चुप नहीं कराया जा सका. एक मौका ऐसा भी आया, जब वह अकेले एक पोस्टर लेकर रूस सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई. इस पोस्टर पर लिखा था कि ‘पुतिन हत्यारा है, उसके सैनिक फासीवादी हैं’. मैरिना के इस कदम से भड़की सरकार ने उन पर झूठी जानकरी फैलाने का आरोप लगाया. अगर मैरिना पर दोष सिद्ध हो जाता एक को दोषी ठहराया जाता तो उन्हें 10 साल तक की कैद हो सकती थी. यही वजह रही कि उनके वकीलों ने उन्हें 11 साल की बेटी के साथ देश छोड़कर जाने की सलाह दी.
ईवलिन कोडनेम के साथ रूस छोड़ा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैरिना के इस कदम के बाद उनके पल-पल की गतिविधियों पर रूसी सरकार की नजर थी. रूस छोड़ने में संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने उनकी मदद की. उन्हें कोडनेम ईवलिन के नाम से फ्रांस जाने में मदद की गई. इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने भी मैरिना को शरण देने का ऐलान किया था.
मैरिना का कहना है कि उनके रूसी दोस्त लगातार यह अनुमान लगाते रहे कि उसे या तो जहर दिया जा सकता है या फिर कार दुर्घटना के जरिए उसकी मौत की साजिश रची जा सकती है.
मैरिना की जर्मन भाषा में एक किताब भी प्रकाशित हुई है, जिसमें उन्होंने इस प्रोपेगैंडा पर खुलकर बात की है. वह कहती हैं कि समस्या यह है कि समूचा रूस दुष्प्रचार का एक बबूला है. वहां पर कोई स्वतंत्र मीडिया नहीं है.
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, मैरिना ने फ्रांस सीमा तक पहुंचने से पहले सात बार कार बदली थी. वह बताती हैं कि रूस की सीमा से बाहर निकलने के लिए हमारे पास सिर्फ दो दिन थे. शुक्र है कि हम सफल हुए. मुझे नहीं पता कि हम किन-किन रास्तों से होकर मंजिल तक पहुंचे लेकिन इस दौरान हमें सात बार कार बदलनी पड़ी थी.
दरअसल फ्रांस सरकार ने मैरिना को आधिकारिक तौर पर देश आने का न्योता दिया था, जिसके उन्होंने स्वीकार कर लिया था. वह यूक्रेन का समर्थन करती हुई कहती हैं कि यूक्रेन के लोगों को मेरा अथाह समर्थन है. लगभग एक साल हो गया है कि वे अपनी जमीन, अपने भविष्य और इस पूरी सभ्यता के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं.
मैरिना का 18 साल का बेटा रूस में ही उनके पूर्व पति के साथ है.