‘न रैंक देखा, न नाम’, रिजल्ट आते ही खुशी से चिल्लाने लगे थे IPS – IPS officer vaibhav banker tells what he did after result came out tstsh


IPS Officer बनना कई लोगों को सपना होता है. इसके लिए देशभर के लाखों युवा हर साल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा भी देते हैं. लेकिन बहुत कम ही ऐसे होते हैं, जिनका सपना पूरा हो पाता है. ऐसी ही कहानी आईपीएस अफसर वैभव बैंकर की भी है. उन्होंने अपने एस्पीरेंट से लेकर आईपीएस बनने तक की यात्रा के बारे में बताया है. बैंकर 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह छत्तीसगढ़ के दुर्ग में पोस्टेड हैं. उनका एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वो अपने रिजल्ट वाले दिन के बारे में बताते हैं. 

वैभव इस वीडियो में कहते हैं, ‘हम चार-पांच दोस्त बैठकर चाय पी रहे थे, तभी एक दोस्त का फोन आया कि रिजल्ट आने वाला है. मैंने दोस्तों से कहा कि नोटिस बोर्ड पर लग जाए तो पिक्चर भेज देना लेकिन उन्होंने नहीं भेजी. फिर मुझे पीडीएफ मिला. मेरे दोस्त बडे़ उत्साहित थे कि क्या होगा. मैंने उन्हें कहा कि मुझे स्पेस दो, थोड़ा टाइम दो. मैं उनसे थोड़ा दूर चला गया और अकेले पीडीएफ खोला. उसमें सिर्फ अपना सरनेम टाइप किया, मैं तब बहुत नर्वस फील कर रहा था कि कहीं जीरो रिजल्ट फाउंड आया तो. ऊपर की तरफ लिखा था, वन रिजल्ट फाउंड. ये मेरे जीवन की सबसे अच्छी चीज थी.’

रैंक और नाम तक नहीं देखे

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने न रैंक देखा, न मैंने अपना नाम देखा, मैं जोर से चिल्लाया अपने दोस्तों को… यार हो गया. और वो इसे लेकर काफी खुश भी थे. मैं उनके पास गया और उन लोगों ने मुझे उठा लिया. फिर पांच मिनट के बाद उन्होंने पूछा कि रैंक क्या है. पहले तो वो खुशी थी हो जाने की, उसके बारे मैंने रैंक देखी, जो 616 थी.’ वैभव बैंकर ने अपने संघर्ष की कहानी सुनाते हुए कहा कि उनकी ये यात्रा कॉलेज के आखिरी साल में शुरू हुई थी. उनके एक दोस्त ने उन्हें काफी प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि वह दिल्ली तैयारी करने आए और ये सोचकर आए थे कि हुआ तो ठीक नहीं तो अपने आईटी सेक्टर में ही नौकरी करेंगे.

पांचवीं बार में पास की परीक्षा

उन्होंने बताया कि प्रीलिम्स में पहली बार वह फेल हो गए. वह डेढ़ साल तक दिल्ली में रहे. फिर अपने मूल निवास अहमदाबाद आ गए और यहीं आकर तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि पांचवें अटेंप्ट में उन्होंने परीक्षा पास की. इसकी तैयारी के दौरान ही वो दूसरी परीक्षाएं भी दे रहे थे, जिनमें से सात पास कर ली थीं. बैंकर ने कहा कि ये किसी को नहीं पता होता कि कब उसकी परीक्षा क्लियर होगी, लेकिन हर बार 100 पर्सेंट देना होता है, चाहे कोई भी अटेंप्ट हो. कभी तैयारी करना नहीं छोड़ना चाहिए, बस लगे रहना है. उनका कहना है कि परीक्षा पास करने के लिए स्ट्रैटेजी मजबूत होनी चाहिए और पूरा पेपर अटेंप्ट करना चाहिए. 



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