देश भर में निमोनिया की बीमारी तेजी से पैर पसार रही है. सर्दी और प्रदूषण की वजह से दिल्ली-NCR में हालात और भी खराब हैं जहां इस बीमारी का शिकार सबसे ज्यादा बच्चे हो रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर के गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों में निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
देश में हर साल लाखों बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं. निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक ऐसा संक्रमण है जो बैक्टीरिया, फंगस, और वायरस की वजह से होता है. इस बीमारी में इंसान के फेफड़ों में सूजन आ जाती है और उनमें लिक्विड भरने लगता है. निमोनिया किसी भी उम्र के इंसान को अपना शिकार बना सकता है. हालांकि पांच साल तक के बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है. निमोनिया का सही इलाज ना होने पर ये जानलेवा भी हो सकता है.
नौएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन और पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता का कहना है कि इस मौसम में बच्चों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. उन्होंने बताया, ”पिछले कुछ दिनों से हमें बच्चों में निमोनिया के कई केस देखने को मिले हैं. बच्चों की मौत की प्रमुख वजह निमोनिया होती है. बच्चों में निमोनिया के लक्षणों को समय पर पहचानकर उनका इलाज करना जरूरी है.”
उन्होंने आगे कहा, ”सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है. बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए. उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें. कान ढककर रखें, सर्दी से बचाएं. पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है.”
बच्चों का टीकाकरण करवाने से निमोनिया के होने वाले खतरों से बहुत हद तक बचा जा सकता है. लेकिन कोरोना की वजह से पिछले दो सालों में निमोनिया के टीकाकरण काफी प्रभावित हुआ है. इसकी वजह से बच्चे वैक्सीन का पूरा कोर्स नहीं कर पाए हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों का समय से टीकाकरण कराएं. निमोनिया का टीकाकरण बच्चे को सबसे पहले डेढ़ महीने, ढाई महीने, साढ़े तीन महीने और फिर 15 महीने की उम्र में लगाया जाता है।
ये हैं निमोनिया के लक्षण
इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, पसीना आना और ठंड लगना शामिल है. इसके अलावा पीड़ित के छाती में दर्द होता है. खासकर सांस लेने और खांसने पर दिक्कत ज्यादा महसूस होती है. पीड़ित को कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी भी होती है. खांसी के साथ पीला बलगम आता है. अत्यधिक थकान भी होती है. भूख में कमी हो जाती है.
निमोनिया से कैसे करें बच्चों की सुरक्षा
निमोनिया से बचने के लिए टीकाकरण सबसे जरूरी है. न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13 और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन बैक्टीरियल निमोनिया से बचाव के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इसके अलावा निमोनिया से बचने के लिए सभी को साबुन या हैंडवॉश से नियमित तौर पर हाथ साफ करते रहने चाहिए. निमोनिया संक्रमित लोगों के ड्रॉपलेट से भी फैलता है इसलिए निमोनिया पीड़ितों से दूरी बनाकर रहें. पीड़ित व्यक्ति को खांसते और छींकते समय अपने मुंह को ढकना चाहिए.