बीजेपी से आए धर्म सिंह सैनी को सपा ने क्यों नहीं रोका? घर वापसी को सरकारी दबाव क्यों बता रही पार्टी – dharam singh saini bjp reentry yogi adityanath sp akhilesh yadav political pressure ntck


उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मंत्री पद  से इस्तीफा और बीजेपी छोड़कर सपा की साइकिल की सवारी करने वाले धर्म सिंह सैनी एक बार फिर से ‘घर वापसी’ करने जा रहे हैं. मुजफ्फरनगर की खतौली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में धर्म सिंह सैनी बीजेपी का दामन फिर से थामेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह रही कि पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी का 312 दिन में ही अखिलेश यादव से मोहभंग हो गया है और सपा ने उन्हें क्यों नहीं साथ नहीं रख पाई.

धर्म सिंह सैनी दबाव नहीं झेल पाए-सपा

समाजवादी पार्टी का कहना है कि पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी बीजेपी सरकार का दबाव नहीं झेल पाए. सरकार के ब्लैकमेल से बचने के लिए ली उन्होंने बीजेपी में शरण ली है. सपा के प्रवक्ता उदयवीर ने कहा कि आयुष मंत्रालय के भर्ती घोटाले मामले की जांच में तेजी आने के बाद ही धर्म सिंह सैनी वापस बीजेपी का रुख किया है. उन्होंने कहा के बहुत सारे राजनीतिक लोगों में दबाव सहने की क्षमता नहीं होती है. ऐसे में मुकदमों को झेलने की नौबत आ जाए तो सरकार के दबाव को सहना सबके लिए आसान नहीं होती. इसी वजह से धर्म सिंह सैनी वापस बीजेपी जा रहे हैं? 

सैनी को सपा क्यों साथ नहीं रख पाई

धर्म सिंह सैनी को सपा में आए हुए अभी एक साल भी नहीं हुए थे कि उन्होंने बीजेपी में दोबारा से वापसी करने जा रहे हैं. इस तरह क्या धर्म सिंह सैनी को सपा अपने साथ रोककर नहीं रख पाई. इसे लेकर उदयवीर कहते हैं कि धर्म सिंह सैनी को सपा ने पूरी तरह से सम्मान और तवज्जे दिया है. 2022 के विधानसभा चुनाव में धर्म सिंह सैनी लड़ने आए थे. सपा ने अपनी पार्टी के नेताओं की जगह उन्हें तरजीह दी और टिकट देकर चुनाव भी लड़ाया. नकुड़ सीट से वो बहुत मामूली वोटों से हार गए थे. सपा का वोट उन्हें पूरी तरह से मिला था जबकि उनके ही समाज के लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया था. 

उदयवीर कहते हैं कि विपक्ष में रहते हुए हमारे पास इतनी एमएलसी और राज्यसभा की सीटें नहीं थी कि हम राज्यसभा या फिर एमएलसी भेजकर तुरंत एडजस्ट कर पाते. सपा का संगठन अभी बन रहा है, जिसमें पार्टी के तमाम नेताओं को जगह दी जाएगी. उदयवीर कहते हैं कि धर्म सिंह सैनी को सपा ने पूरा सम्मान दिया था और साथ रहते तो निश्चित तौर पर आगे भी हम सम्मान देते, लेकिन सरकार का दबाव नहीं झेल सके और बीजेपी में वापसी कर रहे हैं.  

चुनाव से ठीक पहले सपा में आए थे

बता दें कि इसी साल विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म थी तभी धर्म सिंह सैनी ने योगी सरकार की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. 13 जनवरी 2022 को धर्म सिंह सैनी ने बीजेपी छोड़ी थी और अखिलेश यादव से मुलाकात कर सपा में शामिल हो गए थे, उस समय बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका माना गया था. इसकी वजह यह थी कि धर्म सिंह सैनी लगातार चार बार के विधायक थे और सैनी समुदाय के बड़े नेता माने जाते थे.  

सपा ने सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से धर्म सिंह सैनी को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ा था. नकुड़ सीट पर उन्हें 315 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था और उनका 20 साल का किला ढह गया था. सपा में जाने के बाद धर्म सिंह सैनी न तो अपने समाज का वोट सपा में ट्रांसफर करा सके और न ही अपनी सीट बचा सके. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर गई. 

जांच के घेरे में फंस रहे धर्म सिंह सैनी?

योगी सरकार की सत्ता में वापसी करने के बाद से धर्म सिंह सैनी अपनी राजनीति भविष्य को लेकर गुणा-भाग करने लग गए थे. पिछले दिनों यूपी के आयुष कॉलेजों में बिना नीट परीक्षा उत्तीर्ण किए 891 छात्र-छात्राओं को दाखिला दिया गया, जिसको लेकर धर्म सिंह सैनी पर भी सवाल उठाए जा रहे थे, क्योंकि वो ही आयुष मंत्री पद पर थे. सपा इसी मुद्दे को लेकर कह रही है कि धर्म सिंह सैनी सरकार का दबाव नहीं झेल पाए. 

हालांकि, धर्म सिंह सैनी का कहना है कि काउंसिलिंग से पहले ही बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे. ऐसे में उनका इससे कोई लेना देना नहीं है. साथ ही धर्म सिंह सैनी के बेटे लव सैनी कहते हैं कि खतौली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे. वह कहते हैं कि बीजेपी में हम पहले भी रहे है और अखिलेश की विचाराधारा के साथ हमारा मेल नहीं खा रहा है. 

सपा में सैनी को क्या मिला

पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी जिस उम्मीद और आस के साथ सपा में आए थे, वो पूरी नहीं हो सकी. धर्म सिंह न तो अपनी सीट को बचा पाए और न ही सपा में कोई ओहदा मिला. बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद धर्म सिंह सैनी सहारनपुर की सियासत में भी कशमकश में फंस गए थे. सपा के पास विपक्ष में रहते हुए धर्म सिंह सैनी को देने के लिए फिलहाल कुछ नहीं है जबकि बीजेपी के पास देने को काफी कुछ. 

खतौली उपचुनाव के पहले बीजेपी धर्म सिंह सैनी की ‘घर वापसी’ कराकर सिर्फ खतौली सीट का ही नहीं बल्कि मैनपुरी सीट को भी साधने का दांव है. धर्म सिंह सैनी उसी समुदाय से है, जिसकी उपजाति शाक्य है. मैनपुरी में यादव के बाद शाक्य ही दूसरा सबसे बड़ा वोटबैंक है. बीजेपी ने खतौली में विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को चुनाव लड़ा रही है जबकि मैनपुरी में रघुराज शाक्य प्रत्याशी हैं. इसलिए आनन-फानन में मुख्यमंत्री के सामने उनकी जॉइनिंग कराई जा रही है.

यूपी में सैनी समुदाय की आबादी

बता दें कि ओबीसी की मौर्या-शाक्य-सैनी और कुशवाहा जाति की आबादी तेरह जिलों का वोट बैंक सात से 10 फीसदी है. इन जिलों में फिरोजाबाद, एटा, मिर्जापुर, प्रयागराज, मैनपुरी, हरदोई, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, बदायूं, कन्नौज, कानपुर देहात, जालौन, झांसी, ललितपुर और हमीरपुर हैं. इसके अलावा सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद में सैनी समाज निर्णायक है. पश्चिमी यूपी में सैनी बिरादरी बीजेपी के लिए सियासी संजीवनी की तरह है, जिसके चलते पार्टी ने यूपी में संगठन मंत्री सैनी समुदाय से बना रखी है. 
 

 



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