लखनऊ: गोताखोर ने 10 हजार से ज्यादा लोगों की बचाई जान, पुलिस ने दिया ये खास दर्जा – Lucknow gomti bridge Diver saved lives of more than 10 thousand people ntc


लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट के ऊपर बने पुल को सुसाइड प्वांइट के तौर पर जाना जाता है. उस पुल के ऊपर से गोमती नदी में कूदकर जान देने के कई मामले सामने आए हैं. लेकिन ऐसे में एक शख्स ऐसे भी हैं जो इन घटनाओं को होने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं. दरअसल गोमती नदी के पुल के आसपास एक ऐसा शख्स मौजूद रहते हैं जो कूदे हुए व्यक्तियों की जान बचा लेते हैं. वो शख्स हैं श्रीपाल निषाद.

श्रीपाल निषाद गोमती पुल के इर्द-गिर्द ही मौजूद रहते हैं और जैसे ही लोग नदी में छलांग लगाते हैं वह तुरंत नदी में कूद जाते हैं और फिर मरते हुए इंसान को मौत के मुंह से वापस ले आते हैं. श्रीपाल निषाद ने आजतक को बताया कि, वह गोताखोर हैं और मानवता के तौर पर लोगों को बचाते हैं. इसके अलावा वे मछली को पकड़ने का काम करते हैं ताकि अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकें.

नदी में छलांग लगाने वालों को बचाते हैं श्रीपाल

श्रीपाल निषाद बताते हैं कि जो लोग सुसाइड करने आते हैं उनकी जान वह नदी में कूदकर बचाते हैं, साथ ही जिन लोगों को वह पुल से छलांग लगाते हुए किन्हीं कारणों से नहीं देख पाते हैं और उन्हें जब पता चलता है तो वह उस डेड बॉडी को खोजने के लिए भी पानी में उतरते हैं और सर्च ऑपरेशन करने लगते हैं. ऐसे कुछ मामले सामने भी आए हैं जब कई घंटों के सर्च ऑपरेशन के बाद उन्हें मृतक व्यक्तियों की बॉडी मिलती है और वह उसे पुलिस को दे देते हैं.

निषाद बताते हैं कि उन्होंने अबतक करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान बचाई है. वहीं मृतकों का आंकड़ा बताते हुए गोताखोर श्रीपाल ने बताया कि,15 से 20 हजार की संख्या में अभी तक उन्होंने गोमती नदी से निकालकर पुलिस को सौंपा है, बड़ी बात यह है कि श्रीपाल निषाद इसके एवज में कोई धनराशि किसी से नहीं लेते हैं और यह काम वह एकदम मुफ्त में करते हैं. 

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उनका कहना है कि उनके दादा, बाबा पीढ़ी दर पीढ़ी यही काम करते आ रहे हैं. उनके पिता रामचंद्र निषाद भी यही काम करते थे और उन्होंने ही शिक्षा दी थी की अगर कभी आंखों के सामने कोई आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा हो तो उसे बचाने की पूरी कोशिश करना. निषाद ने आगे बताया कि वह खुद पिछले 40 सालों से यही काम कर रहे हैं.

पुलिस ने दिया ये दर्जा

आजतक से बातचीत के दौरान गोताखोर श्रीपाल ने बताया कि पुलिस की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि उनको और उन जैसे लोगों को मानदेय सरकार की तरफ से दिलाया जाएगा. लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है. जिंदगी से ऊब चुके लोगों की जिंदगियां बचाने वाले श्रीपाल को पुलिस ने स्पेशल पुलिस ऑफिसर का भी दर्जा दिया है. प्रमाणिकता के तौर पर उन्होंने पुलिस की तरफ से दिया गया आईडेंटिटी कार्ड भी दिखाया. 

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श्रीपाल निषाद ने आजतक से बातचीत में यह भी बताया कि गोमती नदी में नाले का पानी आकर गिरता है जिसकी वजह से गोमती नदी पूरी तरीके से रसायन युक्त हो गई है. पानी बहुत ही ज्यादा कास्टिक हो गया है. ऐसे में जब कोई नदी में कूद जाता है और हम लोग बचाने जाते हैं तो हमारा शरीर जलने लगता है, कभी-कभी तो छाले पड़ जाते हैं क्योंकि पानी बहुत ज्यादा खराब है. निषाद ने सरकार से अनुरोध किया कि उन लोगों को नदी में उतरने के लिए सीढ़ियां बनवा दें क्योंकि नदी में उतरने के लिए और नाव तक जाने के लिए सीढ़ियां नहीं हैं. ऐसे में अगर सीढ़ियां होंगी तो आसानी से नदी में उतर सकेंगे और लोगों को बचा सकेंगे. 

छोटे भाई के सीने में घुसा सरिया

श्रीपाल ने अपने छोटे भाई के बारे में बताया कि उनका छोटा भाई रामशंकर भी एक बार, दो प्रेमी जोड़ों को बचाने के लिए नदी में कूद गया और जब वह नदी में कूदा तो उसके छाती में सरिया घुस गया और उसका इलाज काफी दिनों तक चला, जिसमें 1.5 लाख रुपये के आसपास खर्चा आया, जिसे हम लोगों ने अपने पास से ही दिया. इसके बावजूद भी श्रीपाल ने हिम्मत नहीं हारी और इस काम को अब तक जारी रखे हुए हैं.

 



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