सियासी ‘विरासत’ मिलने के बाद देर रात बाला साहेब मेमोरियल पहुंचे CM शिंदे, उद्धव पर किया पलटवार – maharashtra CM eknath Shinde arrives at Bala Saheb Memorial late night after getting shivsena ntc


धनुष-बाण वाली शिवसेना अब एकनाथ शिंदे की हो गई है. चुनाव आयोग के फैसले से जहां उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है तो वहीं एकनाथ शिंदे को शिवसेना का अधिकार मिल गया है. आयोग के फैसले का शिंदे गुट ने स्वागत किया. वहीं उद्धव ठाकरे ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही. इस सबके बीच शुक्रवार देर रात महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बाला साहेब मेमोरियल पहुंचे. यहां उन्होंने बाला साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें झुकर प्रणाम किया.

इस दौरान शिंदे ने कहा कि हमारी सरकार लोगों के हित में काम कर रही है. जो भी हुआ वो बाला साहेब के आशिर्वाद से हुआ है. ये बाला साहेब के विचारों की जीत है और हमारी सरकार बाला साहेब के विचारों वाली है. हमने चुनाव को ध्यान में रखकर काम नहीं किया है. लोगों के हितों में काम किया है. हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं. ये फैसला लोकतंत्र को मजबूत करने वाला है. अगर उनके (उद्धव) पक्ष में फैसला आता तो सही कहते, फैसला पक्ष में नहीं आया तो गलत बता रहे हैं.

इससे पहले शिंदे ने उद्धव ठाकरे के धनुष-बाण चुराने के बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि 50 विधायक,13 सांसद, लाखों कार्यकर्ता चोर हैं क्या? पहले आप(उद्धव ठाकरे) आत्मचिंतन करो कि ये नौबत क्यों आई है? क्योंकि आपने 2019 में बाला साहब ठाकरे के विचारों को बेच दिया और धनुष बाण को गिरवी रखा था इसे हमने छुड़ाया है.

उन्होंने हमारा धनुष-बाण चुरा लिया- ठाकरे

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार की दादागिरी चल रही है, लोकतंत्र ख़त्म हो गया है. सरकार ने इस लड़ाई में सरकार ने पूरा सिस्टम उतार दिया था. उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई निर्णय नहीं लेता, तब तक इलेक्शन कमीशन कोई फैसला ना दे, लेकिन उन्होंने मेरी बातों को नजर अंदाज कर दिया और फैसला दे दिया उद्धव ने कहा कि उन्होंने हमारा धनुष-बाण चुरा लिया है. पहले हमारे पास कोई निशान नहीं था, यह तीर कमान बालसाहेब ठाकरे ने बनाया था और ये अपनी ताकत दिखाएगा. उद्धव ने कहा कि राम के पास भी धनुष बाण था और रावण के पास भी. लेकिन जीत राम की हुई.

उद्धव ठाकरे ने कहा कि बालासाहेब ने कभी ऐसा नहीं कहा था कि किसी की गुलामी करो. उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टियों के नेता चुराने से, पार्टी का सिंबल चुराने से जीत नहीं मिलेगी. कांग्रेस ने भी पहले सरकार गिराई थी, कांग्रेस इमरजेंसी लाई थी, लेकिन इंदिरा गांधी में इतनी हिम्मत थी कि इमरजेंसी के बारे में बोलें और वापस लें. उद्धव ने कहा कि जैसे इंदिरा को लोगो ने हराया था, वैसे ही पीएम मोदी को भी जनता हराएगी. उद्धव ने कहा कि बीबीसी पर जैसे छापे पड़े हैं, वैसे किसी पर भी छापे पड़ सकते हैं. सभी मीडिया संस्थानों को एक होना पड़ेगा. साथ ही कहा कि लोकतंत्र खतरे में है, यह सब देख रहे हैं. प्रधानमंत्री को यह बता देना चाहिए कि हम लोकतंत्र ख़त्म कर रहे हैं तानाशाही ला रहे हैं.

हम पहले दिन से ही आश्वस्त थे: फडणवीस 

राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बाला साहब ठाकरे के विचारों पर चलने वाली शिवसेना मतलब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. इनको शिवसेना का नाम और चिह्न धनुष बाण मिला है. अब असली शिवसेना एकनाथ शिंदे जी की शिवसेना बनी है. मैं बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, हम पहले दिन से ही आश्वस्त थे, क्योंकि चुनाव आयोग के इसके पहले के भी निर्णय इसी प्रकार से आए हैं, इसलिए यह हमें विश्वास था.

इस आधार पर चुनाव आयोग ने सुनाया फैसला 

अपने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने कहा कि विधान मंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पास दिखा है. आयोग के सामने दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे और उनकी पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. एकनाथ शिंदे गुट के पास एकीकृत शिवसेना के टिकट पर जीत कर आए कुल 55 विजयी विधायकों में से 40 आमदार यानी विधायक हैं. पार्टी में कुल 47,82,440 वोटों में से 76 फीसदी यानी 36,57,327 वोटों के दस्तावेज शिंदे गुट ने अपने पक्ष में पेश कर दिए. उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना पर पारिवारिक विरासत के साथ ही राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए 15 विधायकों और कुल 47,82,440 वोट में से सिर्फ 11,25,113 वोटों का ही दस्तावेजी सबूत पेश कर पाए थे. यानी कुल 23.5 फीसदी वोट ही ठाकरे गुट के पास थे. शिवसेना के कुल 55 आमदार यानी विधायकों में सिर्फ 15 का समर्थन ठाकरे गुट के पास था.



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