ऑस्ट्रेलियाई जमीं पर खेले जा रहे टी20 वर्ल्ड कप 2022 में भारतीय टीम का सफर समाप्त हो चुका है. गुरुवार (10 नवंबर) को एडिलेड ओवल में खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में भारत को इंग्लैंड ने 10 विकेट से करारी शिकस्त दी. इस हार के साथ ही टीम इंडिया का विश्व कप जीतने का सपना भी एकबार फिर से चकनाचूर हो गया. अब 13 नवंबर (रविवार) को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में होने वाले फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड का सामना पाकिस्तान से होगा. पाकिस्तान टीम ने पहले सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को सात विकेट से परास्त किया था.
दबाव में पूरी तरह बिखरी टीम इंडिया
इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले में भारतीय टीम की हार के लिए किसी एक खिलाड़ी को दोष देना सही नहीं रहेगा. देखा जाए तो ‘मेन इन ब्लू’ पर मैच की शुरुआत से लेकर अंत तक प्रेशर दिखाई दिया. कप्तान रोहित शर्मा ने भी हार के बाद इस बात को स्वीकार किया कि टीम दबाव नहीं झेल सकी. जब रोहित शर्मा टॉस के लिए आए तो उनकी बॉडी लैंग्वेज भी बाकी दिनों की तरह नहीं था और ऐसा लग रहा था कि वह किसी तरह के दबाव में हैं. इससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश जिम्बाब्वे जैसी टीमों के खिलाफ मुकाबले में टॉस के समय रोहित काफी कॉन्फिडेंस में दिखाई दिए थे. इतने अहम मुकाबले की शुरुआत से पहले ही आप पर दबाब आ जाए तो मुकाबला स्वाभाविक रूप से मुश्किल बन जाता है.
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पावरप्ले में बनाए सिर्फ 38 रन
मैच में इंग्लिश कप्तान जोस बटलर ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया यानी कि भारतीय टीम की पहली बैटिंग आ गई. रोहित शर्मा ने भी कहा कि यदि वह टॉस जीतते तो पहले बैटिंग करते यानी कि भारतीय कप्तान की दिल की इच्छा पूरी हो चुकी थी. जब भारतीय टीम बैटिंग करने उतरी तो सबसे जरूरी चीज यह थी कि पावरप्ले में राहुल-रोहित की जोड़ी टीम को तेज शुरुआत दिलाए. लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उल्टा. पहले 6 ओवरों में भारत ने कछुए की रफ्तार से बैटिंग की और महज 38 रन बने. इस दौरान उसने केएल राहुल का विकेट भी गंवाा दिया.
रोहित की बैटिंग में भी दिखा प्रेशर
पावप्ले की समाप्ति के बाद भारतीय फैन्स को आस थी कि क्रीज पर सेट हो चुके रोहित शर्मा दबाव मुक्त होकर बैटिंग करेंगे लेकिन उनकी पारी एकबार फिर स्पीड पकड़े बगैर ही समाप्त हो गई. रोहित ने 28 बॉल खेलकर 27 रन बनाए यानी कि स्ट्राइक रेट 100 से भी कम का रहा. उधर विराट कोहली की पारी भी लगभग 100 के स्ट्राइक रेट से ही आगे बढ़ रही थी. नतीजतन 10 ओवर में भारत ने महज 62 रन बनाए थे और उसपर प्रेशर साफ दिख रहा था. अब सभी दर्शकों को पिछले मैच की तरह सूर्या से तूफानी बैटिंग की उम्मीद थी लेकिन सूर्या इससे पहले कि ‘360 डिग्री’ बैटिंग शुरू करते उनकी पारी पर विराम लग चुका था.
हार्दिक की इनिंग ने बचाई लाज
सूर्या के जाने के बाद विराट कोहली और हार्दिक पंड्या पर बड़ी जिम्मेदारी आ चुकी थी. हार्दिक पंड्या ने भी शुरुआत में संभलकर खेला और वह एक वक्त 12 बॉल खेलकर महज 9 रन बना पाए थे. हालांकि बाद में उन्होंने अपना गियर बदला और ताबड़तोड़ बैटिंग की. हार्दिक ने 33 बॉल पर 63 रनों की पारी खेली जिसमें पांच छक्के और चार चौके शामिल थे. यानी कि उनका स्ट्राइक रेट लगभग 191 का रहा. यदि हार्दिक ने यह विस्फोटक पारी नहीं खेली होती तो भारत 168 रनों के स्कोर तक भी नहीं पहुंच पाता. वैसे विराट कोहली ने भी 40 बॉल पर 50 रन बनाए. लेकिन उनकी यह इनिंग पाकिस्तान, बांग्लादेश और नीदरलैंड के खिलाफ मुकाबले की तरह नहीं थी. यानी कि विराट कोहली पर भी शायद बड़े मुकाबले के चलते थोड़ा प्रेशर था.
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शुरुआती ओवर में ये कैसी रणनीति?
अब बॉलिंग की बात की जाए, भुवनेश्वर कुमार ने पारी का पहला ओवर फेंका जिसमें ऋषभ पंत को विकेट के करीब आकर कीपिंग करते देखा गया. पहले ही ओवर में पंत का इस तरह आगे आकर कीपिंग करना काफी हैरत भरा था. बाद के ओवरों में कीपर थोड़ा आगे आकर कीपिंग करे तो समझ भी आता है. वैसे भी भुवनेश्वर कुमार की स्पीड कोई कम नहीं है और वह लगभग 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बॉलिंग करते हैं. यदि पंत थोड़ा पीछा खड़े होते तो शायद भुवनेश्व कुमार को गेंद स्विंग कराने का अवसर मिलता. भुवी की खासियत ही स्विंग बॉलिंग है लेकिन इस हैरतअंगेज रणनीति के चलते भुवी प्रेशर में बॉलिग करते दिखाई दिए. नतीजा यह हुआ कि पहले ओवर में जोस बटलर ने तीन चौके जड़ दिए.
फील्डिंग और बॉलिंग भी बेअसरदार
भारतीय गेंदबाजों की धुनाई अगले पांच ओवरों में भी जारी रही, जिसके चलते इंग्लिश टीम ने छह ओवर में स्कोरबोर्ड पर 63 रन टांग दिए थे. यहां से भी भारत मैच में वापसी कर सकता था लेकिन टीम के खिलाड़ियों में जोश और जज्बा नजर ही नहीं आया. जहां गेंदबाजों के बॉल्स की पिटाई होती रही, वहीं फील्डिंग भी औसत दर्जे की लगी और खिलाड़ियों में तालमेल का भी अभाव दिखा. उदाहरण के लिए एक मौके पर तो हेल्स और बटलर ने शमी की काफी खराब फील्डिंग के चलते दो की बजाय चार रन दौड़ लिए. खराब फील्डिंग और बेअसरदार बॉलिंग का नतीजा ये हुआ कि इंग्लैंड ने 16 ओवर में ही खेल खत्म कर दिया.