UP: जयंत चौधरी का बड़ा सपना, BJP से गठबंधन को लेकर भी साफ कर दी तस्वीर – jayant chaudhary rld sp alliance 2024 jatland state rajasthan haryana contact ntck


राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान एक बार फिर से जयंत चौधरी को सौंप दी गई है. यूपी से बाहर जाटलैंड वाले राज्यों में जयंत चौधरी ने रालोद के विस्तार और 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर अपना एजेंडा साफ कर दिया है. राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में उन्होंने चुनाव लड़ने के संकेत दिए तो यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावना से साफ इनकार कर दिया है और सपा के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की हुंकार भर दी है. इस तरह से जयंत अब छोटे चौधरी से बड़े चौधरी बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.

आरएलडी का राष्ट्रीय अधिवेशन मंगलवार को नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित किया गया, जिसमें कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में ही जयंत को अध्यक्ष के तौर पर एक और कार्यकाल सौंपा गया. साथ ही जयंत ने 2024 लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हरियाणा और राजस्थान में भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने 2024 के चुनाव का अपना एजेंडा भी साफ कर दिया, जिसमें किसान-नौजवान को प्रमुखता से जगह दी गई है. चौधरी चरण सिंह के सियासी फॉर्मूले जाट-मुस्लिम के साथ गुर्जर और दलित कैंबिनेशन बनाने पर भी जोर दिया गया है.

जाटलैंड में पैर पसारने की तैयारी
जयंत चौधरी ने राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान जिस तरह से यूपी से बाहर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया, उससे साफ है कि उनकी नजर जाटलैंड वाले राज्यों पर है. चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजित सिंह के सियासी नक्शेकदम पर चलते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि उनका गठबंधन राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा सहित कुछ और राज्यों में भी चुनाव लड़ने की योजना बना चुका है. वे गठबंधन के साथ इन राज्यों के चुनावी रण में उतरेंगे और जीत हासिल करेंगे. राजस्थान में आरएलडी का एक विधायक है और पार्टी गहलोत सरकार को समर्थन कर रही है. 

जयंत चौधरी और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद एक साथ कई बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं. उनके बीच सियासी केमिस्ट्री भी काफी बेहतर है. इस तरह से जंयत की कोशिश जाट-दलित वोटों के साथ गुर्जर समुदाय को लेने की है, जिसके चलते गुर्जर समुदाय से आने वाले चंदन चौहान को रालोद युवा विंग का अध्यक्ष बनाया गया. इस कैंबिनेशन के जरिए राजस्थान ही नहीं, बल्कि हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी किस्मत आजमाने का रणनीति है. हरियाणा में जाट राजनीति पहले से ही स्थापित है, जिसके चलते रालोद अपनी जड़े नहीं जमा सकी है जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में कोई खास प्रभाव नहीं है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसी साल चुनाव होने हैं. 

बीजेपी को इनकार, सपा से इकरार 
2024 के लोकसभा चुनाव में अभी एक साल से ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने यूपी में अपने गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ कर दी है. जयंत ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि बीजेपी और उनके बीच गठबंधन की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह ने एक रैली के दौरान आरएलडी के साथ गठबंधन करने का ऑफर दिया था. इसके बाद जयंत चौधरी को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बन गई थी और वोटर्स में भी उन्हें संदेह की नजर से देखा जाने लगा था. ऐसे में जयंत चौधरी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर साफ इनकार कर दिया है.

जयंत ने कह दिया है कि उनके दरवाजे बीजेपी के लिए हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं और दोनों दलों के साथ आने की कोई संभावना नहीं है. सपा के साथ ही मिलकर यूपी में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि सपा के साथ गठबंधन को रखने के लिए एक समन्वय समिति बनाई गई है जो बातचीत करती रहती है. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे यह तय है, लेकिन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे यह नहीं कहा जा सकता है. इसके अलावा, जयंत ने चंद्रशेखर आजाद को भी साथ रखने की बात कही है. 

जयंत चौधरी की सोशल इंजीनियरिंग 
जयंत चौधरी भले ही अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हों, लेकिन यूपी उनके मुख्य एजेंडे में है. इसकी वजह यह है कि पार्टी का सियासी आधार पश्चिमी यूपी में ही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी को 8 सीटें मिली थी, जो खतौली जीत के बाद 9 विधायकों वाली पार्टी बन गई है. जयंत चौधरी खतौली में जिस सोशल इंजीनियरिंग के जरिए बीजेपी को मात देने में सफल रहे हैं, उसी फॉर्मूले पर 2024 के चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि दलित अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने वाले युवा नेता चंद्रशेखर आजाद के साथ उनका सहयोग जारी रहेगा. 

जयंत चौधरी खास रणनीति के तहर गुर्जरों को भी साधने की कवायद में जुटे हैं, जिसके चलते चंदन चौहान को रालोद युवा की कमान सौंपी गई है तो मदन भैया को विधायक. इसके अलावा मुस्लिम के पास सियासी विकल्प न होने के चलते उनके साथ रहना मजबूरी है तो त्यागी समाज को भी जोड़ने की कवादय की जा रही है. इस तरह से आरएलडी जाट-मुस्लिम-गुर्जर-दलित कैंबिनेशन के साथ अन्य समाज को जोड़कर बीजेपी के सामने चुनौती खड़ी करना चाहती है. जयंत की कोशिश किसानों के मुद्दे पर ही अपनी राजनीति को रखने का है ताकि बीजेपी को ध्रुवीकरण करने का मौका न मिल सके. अजित चौधरी की जयंती के उपलक्ष्य में नारा दिया गया है- भाजपा की विफलताएं हजार, लोकदल चला जनता के घर द्वार. इस अभियान के जरिए किसानों के गन्ना भुगतान से लेकर एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं.

 



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